आज क्या हुआ क्या पता? सास जितनी निर्दयी थी उतनना ही निर्दई अपने बेटे को भी कर दिया था। हर एक नई दुल्हन अपने पति के घर जाने के लिए राह देखती है, पर अमृता? वह तो उसके पति की राह भी कभी नहीं देखती थी। क्योंकि वह अपने पति से बहुत डरती थी। मन ही मन में भगवान का जाप जप रही थी कि उसका पति आज घर पर आए ही नही!
पर जब तक उसका पति घर पर ना आए तब तक उसे उसके सास खाना खाने नहीं देगी। इतनी निर्दई उसकी सास ने रसोई घर को ताला लगा रखा था। ऐसा क्या हुआ था के सुनैना अमृता को ऐसे प्रकार का दुख दे रही थी? और अमृता के पति मतलब अजय का ऐसा क्यूँ स्वभाव था की नई दुल्हन होकर भी वह अपने पति की राह नहीं देखती थी?
अमृता की शादी अजय से 5 महीने पहले हुई थी। अमृता को मां-बाप नहीं थे।12 वी की पढ़ाई होते ही उसके चाचा चाची ने उसकी शादी करवा दी। अमृता की जिम्मेदारी से उसके चाचा चाची मुक्त हो गए। उसकी चाची ने उसकी शादी के बाद के त्यौहार भी मनाए नहीं, उसे 4 दिन के लिए मायके में त्योहार मनाने के लिए बुलाया भी नहीं। उसकी शादी करके जिम्मेदारी से मुक्त हो गए बस।
अमृता के ससुराल में उसकी सास सुनैना पति अजय और नंदन मोनिका जिसकी शादी पक्की करके सगाई कर दी थी। छोटा सा परिवार था। सुखी और शांतिपूर्ण गृहस्ती के सपना लेकर अमृता इस घर में आई थी। पर सपना तो सपना ही होता है। हर समय सपना सच होना कम मुमकिन होता है।उसका भी सुखी गृहस्थी का सपना तो सपना ही रह गया।
अमृता की उमर 18 की पूर्ण हो गई थी, और अजय 30 का था। दोनों के बीच में 12 साल का अंतर था। सास सुनैना ने अमृता के लिए 10 नियम बनाए थे। सुबह 4:00 बजे उठकर पूरे घर की साफ सफाई करना, बाद में नहाकर भगवान की पूजा करने के बाद मे रसोई में जाना, हमेशा सर पर पल्लू रहना, सबसे पहले खाना ना खाना, मतलब सब के खाने के बाद ही अमृता खा सकती थी! ऐसे और भी कितने नियम कायदे सुनैना ने अमृता के लिए बनाए थे।
अमृता को यह नियम पालन करने ही पड़ते थे। पर अभी उमर ही क्या थी उसकी? उस वक्त उसके हाथ से अगर भूल हो भी जाती तो उसका पति या उसकी सास या फिर उसकी नंदन उसे सजा देते ही देते थे। उसे मारने की भी कोई कमी नहीं रखते थे। उससे 5 साल बड़ी ननद मोनिका उस पर हाथ उठाने के लिए आगे पीछे भी नहीं सोचती थी! शादी को 10,12 दिन हुए थे, हर रोज अजय 8:00 बजे तक आ जाता था। पर उस दिन 10:00 बज गए थे तब भी अजय आया नहीं था। अमृता को बहुत जोर की भूख लगी थी। उसने खुद के लिए थाली बनाई और रसोई में खाने के लिए बैठी अभी पहला ही निवाला मुंह में डाल रही थी की तभी उसकी सास ने देख लिया।
उस पर उसकी सास बहुत चिल्लाई वो अमृता से सहन नहीं हुआ.... तभी अमृता बोली वह अभी तक नहीं आए मुझे बहुत भूख लगी थी इसलिए खाने के लिए बैठी। सास कुछ बोलने वाली थी तभी मोनिका आगे आई और अमृता को चांटा मार दिया!
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां के सामने बोलने की? तुम्हारे घर में तुम्हें खाना नहीं मिलता था क्या? मेरा भाई तुम्हारा पति है, उसकी राह नहीं देख सकती क्या? अरे औरतें अपने पति के लिए क्या-क्या नहीं करती है? उतने में सास बोली, रहने दे मोनिका क्यों इसको संस्कार सिखा रही हो? मां-बाप तो रहे नहीं और चाचा चाची ने ऐसी लड़की हमारे पल्ले बांध दी। रहने दे तू चल बाहर!
मे ही रसोई में ताला लगा देती हूं और उसे रसोई से बाहर धकेल कर ताला लगा देती हूं। अमृता आंखों में आंसू ले कर बस देखती ही रह गई।
11:30 बजे अजय घर आया। तभी सुनैना और मोनिका ने मिर्च मसाला लगाकर अमृता के खिलाफ अजय को भड़काया। वह तो मां का भक्त... इतना ही सुनकर उसने गुस्से में आकर अमृता को थप्पड़ मारा! उसे उस दिन खाना भी मिला नहीं।
अभी आज की ही बात ले लो अमृता रसोई घर में खाना बनाकर सुनैना और मोनिका को खाना दे रही थी, दोनों हॉल में टीवी देखते-देखते खाना खा रही थी और इधर अमृता एक-एक गरम गरम रोटी उनको परोस रही थी। आज सुबह अमृता को सिर्फ एक ही रोटी उसके सास ने खाने को दी थी। अमृता को बहुत जोर की भूख लग रही थी। पर अजय तो 10:00 बजे के पहले आने वाला नहीं था। पर अमृता को भूख सहन नहीं हो रही थी।
सास और मोनिका का खाना खाने के पहले रसोई घर को ताला लगाने से पहले अमृता ने जल्दी से रोटी अपने पल्लू में बांध कर रखी ली। जब मां बेटी का खाना होने के बाद उन्होंने अमृता को बाहर निकालकर रसोई घर पर ताला लगा दिया और दोनों उनके रूम में आराम करने के लिए निकल गई। उसने पल्लू में बंधी हुई रोटी निकाली और रोटी वैसे ही बिना सब्जी के खाने लगी। रोटी खाते खाते उसके आंखों से आंसू बह रहे थे। उसका स्वाभिमान इस बात के लिए रजामंदी नहीं दे रहा था। लेकिन क्या करें? यह भी उसे समझ आ रहा था।
ठीक उसी समय सुनैना कोई काम के लिए उधर आई और उसने अमृता को रोटी खाते हुए देख लिया। बस फिर क्या होगा? तमाशा चालू हो गया और उस वजह से अमृता भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि अजय घर पर आए ही नहीं....
क्या पता आज वो क्या करेगा? शादी के बाद इनके ही सामने खाना खाया था तब भी थप्पड़ मारा था! पर आज तो रोटी चुराकर खा रही थी! थोड़ी देर बाद अजय घर पर आया तो अमृता का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, डर के मारे पसीने से भीग गई।
कुछ ही मिनटों बाद अचानक से अजय का जोर से आवाज आया।अमृता जल्दी बाहर आओ... अमृता डरकर थरथर कांपते हुए बाहर आई। देखा तो सास अभी भी शेर की तरह उसकी तरफ देखकर गुर्रा रही थी। मोनिका भी मन ही मन में मुस्कुराकर देख रही थी और अजय उसकी आंखें खून के जैसे गुस्से से लाल हो गई थी। जैसे ही अमृता अजय के सामने आई उस ने उसके बालों को पकड़कर जोर से धकेल दिया!
"आ ......... ह " अमृता बहुत जोर से चिल्लाई।तेरी इतनी हिम्मत हुई कि तू अपने ही घर में चोरी करती है? रुक तुझे तो मैं अभी दिखाता हूं, बोलते बोलते अजय ने अपने कमर का बेल्ट निकाला और अमृता को मारने लगा। अमृता जोर जोर से रोते हुए, दर्द से चिल्लाते हुए उसकी माफी मांग रही थी।
पर उसके पति को और घर में रहने वाले दो औरतों को उसकी दया नहीं आई! अमृता को सहन नहीं हो रहा था तभी उसने अजय को धक्का दिया और घर के बाहर भागने लगी।..
तभी अरे पकड़ो उसे बाहर कहां चली? सुनैना अजय को बोली। तभी अजय बोला जाने दो मां भाग भाग कर कहां जाएगी? कहां उसे पालने के लिए उसके मायके वाले हैं? जो उसे संभाल लेंगे? आएगी वापस घूम के यहीं पर जाने दो उसे। पहले मुझे खाना परोसो मुझे बहुत भूख लगी है! अजय का बोलना सुनकर सुनैना ने अजय को खाना दिया और आज भी सभी खाने के लिए बैठे पर अमृता की याद किसी को भी नहीं आई।
बाद में थोड़ी देर बाद अम्रुता घर में आई। उसे देखकर तीनो राक्षस जैसे हंसते-हंसते उसके सामने खड़े हुए। आ गई क्या वापस महारानी? क्या हुआ मायके वालों ने घर में नहीं लिया? सुनैना ने उसे टोंट मारा। तभी अजय उसे बोला जब तक तुम मेरे पैरों पर अपनी नाक नहीं रगड़ती तब तक मैं तुम्हें घर के अंदर आने नहीं दूंगा। मुझे धक्का देकर चली गई थी ना?
हां भैया इतनी जल्दी से माफ मत करना अब अगर इसे माफ किया ना तो कल यह सिर पर चढ़कर नाचने लगेगी, ऐसी लड़की का क्या भरोसा?
अरे भरोसा तो अभी हमें तो तुम्ह पर भी नहीं रहा जो अपनी भाभी का सम्मान नहीं कर सकती वह लड़की हमारे घर का क्या मान बढ़ाएगी? अचानक अमृता की पीठ के पीछे से मोनिका के होने वाले ससुर की आवाज आई, और वह अंदर आए! उन्हें देखते ही तीनों के चेहरे का रंग ही उड़ गया। अरे समधी जी आप कब आए ? सुनैना साड़ी ठीक कर के माथे पर पल्लू लेकर बोलने लगी, उसी वक्त आया, जिस वक्त आपकी बहू रास्ते से डरकर इधर से उधर भाग रही थी,अच्छा हुआ अभी से ही तुम्हारा असली चेहरा हमें दिख गया। में आया नहीं तो हमारे घर की बर्बादी हो गई होती अगर ऐसी बहू हमारे घर आई होती तो।
मोनिका के होने वाले ससुर उसकी तरफ हाथ दिखा कर बोले। नहीं नहीं आपको कोई गलतफहमी हो गई है पापा। आप अंदर तो आइए मैं आपको सब समझाती हूं। मोनिका ऐसे बोली तो उसके ससुर बोले कौनसे पापा, किसके पापा? माफ करो हमें अब आपके साथ कोई भी रिश्ता नहीं करना और जो आपको समझाना है ना वो बाहर खड़े पुलिस को बताना! अचानक पीठ के पीछे से पुलिस अंदर आई!
पुलिस को देखकर उन तीनों की बोलती ही बंद हो गई। क्या बोले कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी सुनैना नरम आवाज से अमृता को बोली, अरे बहु, छोटी बात पर कोई पुलिस को बुलाता है क्या? छोटी सी गलतफहमी हो गई है ना? और ऐसी छोटी बड़ी परीक्षा हर एक औरत को शादी के बाद देनी ही पड़ती है.... और यह तो तुम्हारा ससुराल है ना! ससुराल वालों का मान रखना तो तुम्हारा कर्तव्य है बेटा!
माफ कीजिए सासू जी, मुझे ऐसी परीक्षा देने का कोई शौक नहीं है। मैंने शादी थप्पड़ खाने के लिए नहीं की थी। और यह ऐसा कैसा ससुराल जहां मुझे रोटी भी चुराकर खानी पड़ती थी। आपने मुझे कमजोर समझा था क्या? मेरा मायका नहीं है पर मैं कमजोर नहीं हूं। अभी यही संस्कार अपने बच्चों को जेल में देना।
अंत में पुलिस ने उन तीनों को पकड़कर जेल के अंदर डाला। मोनिका की ससुराल वालों ने शादी तोड़ दी और अमृता को एक स्वयंसेवक संस्था ने आगे जाने का मार्ग दिखाया। अमृता संस्था के साथ में काम करके लोगों को घर में होने वाली घरेलू हिंसा के बारे में जागरूकता फैलाने लगी । उसने अभी सही मायने में जिंदगी की नई शुरुआत की।
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