एक गांव में जगन नाम का एक भीकारी अपनी लड़की गोरी के साथ रहा करता था। गोरी की मां की मृत्यु गांव में फैली हुई महामारी से हो चुकी थी। जगन को आंखों से कम दिखता था इस वजह से उसे कुछ भी काम नहीं मिल रहा था।आखिर वह मजबूरी में पेट भरने के लिए गोरी को अपने साथ भीख मांगने गांव में लेके जाता था।
गोरी को भीख मांगना पसंद नहीं था। उसको पढ़ाई करना पसंद था। जब भी गोरी अपने पिता के साथ गांव में भीख मांगने सरपंच के घर जाती थी तब सरपंच के बेटे राजू को पढ़ाई करते हुए देखकर गोरी को बहुत बुरा लगता था। वह मन ही मन सोचती की काश मैं भी पढ़ाई कर सकती।
सरपंच की पत्नी रोज गोरी को देख के ताना मारती थी। उस दिन सरपंच की पत्नी राजू को बोली की दरवाजे पर जो भिखारी आया होगा उसे बासी खाना दे और जाने को बोल! सरपंच की पत्नी बोली कि गांव में एक भी हॉस्पिटल नहीं है और इन भिकारी लोगों की महामारी जैसी बीमारी मेरे बच्चे को लग गई तो मैं क्या करूंगी? इन सब बातों को सुनकर वह बहुत दुखी हो गए और घर चले गए।
अगले दिन गोरी बोली, बाबा गांव के सब लोग हमारे पास से दूर क्यों चले जाते हैं! हम इतने बुरे हैं क्या? उसके पिता उसे बोले अरे नहीं बेटा बुरे पन के विचार हमारे गरीबी में और लोगों के विचारों में है। फिर गोरी बोली कि बाबा 1 दिन में डॉक्टर बनूंगी और आपके आंखों का इलाज करूंगी! गांव में एक हॉस्पिटल बनाऊंगी।
उसके पिता बोले कि गोरी हमको दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती है और यह सपना तो श्रीमंत लोगों ने देखना चाहिए! उसके पिता उसे कहने लगे कि बेटा मैंने तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं किया और ना ही कुछ कर सकता हूं।
उसी वक्त एक औरत ने बाहर से गौरी को आवाज लगाई और कहने लगी कि गोरी आज मेरा शौचालय तुम साफ कर दोगी तो मैं तुम्हें ₹5 भीख मे दूंगी। ना चाहते हुए भी गोरी ने उस औरत की बात मानकर शौचालय साफ कर दिया। जाहिर सी बात है इस काम को करते हुए गोरी को बहुत बुरा लग रहा था, उसे बेइज्जती सी महसूस हो रही थी। गौरी ने निश्चय किया कि वो अब किसी भी तरह डॉक्टर बन के दिखायेंगी!
फिर एक दिन गोरी उसके पिता को लेकर मंदिर गई और उस मंदिर के पास एक रहीम चाचा रहते थे गोरी उसके पिता को रहीम चाचा के पास छोड़ कर आई। कुछ दिन खुद खिलोने बेचकर पैसे कमाने लगे। 1 दिन गोरी गांव की शिक्षिका रेनू दीदी को मिली और गांव की सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए जाने लगी। रोज गोरी स्कूल में से आकर खिलौने बेचकर पैसे कमाती और अपने पिता को भी संभालती।
गोरी रात रात भर पढ़ाई करके स्कूल में अच्छे मार्क्स लाके पास होने लगी। यह सब देखकर सरपंच की पत्नी और गांव वाले आश्चर्यचकित हो गए। वह सब गौरी और उसके पिता जगन से जलने लगे। सरपंच की पत्नी सोचती है कि यह भिकारी लड़की कैसे पढ़ाई करके डॉक्टर बनती है मैं भी देखती हूं।
गोरी हर साल अच्छे मार्क्स लाकर पास होने लगी और रेनू दीदी उसे पढ़ाई में मदत करने लगी।
धीरे-धीरे साल बदल गया और गोरी अब बड़ी हुई और उसने अपनी मेहनत से पढ़ाई पूरी की। आगे डॉक्टर का शिक्षण और आगे कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए उसने एग्जाम दिए। और उस एग्जाम में गोरी टॉपर बनी!
उसकी सफलता से रेनू दीदी और उसके पिता बहुत खुश हो गए। गोरी उसके पिता को बोली बाबा मुझे स्कॉलरशिप मिली है। पर गोरी को आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर में जाना पड़ रहा था। गोरी उदास हो गई। रेनू दीदी उसे कहने लगी कि गोरी तू टेंशन मत ले मैं इधर में सब संभालूंगी तू शहर जाकर डॉक्टर बन कर वापस आ। रेणुदिदी ने बाप की जिम्मेदारी लेली इसलिए वो निच्छित होकर पढ़ाई करने के लिए चली गईं।
बहुत समय बीत गया पर गोरी की कुछ खबर नहीं आई । कुछ साल बाद गांव में फिर से महामारी की समस्या आयि। कई गाववलो के साथ गोरी के पिता और सरपंच का लड़का राजू भी महामारी के चपेट में आगये और शहर जाकर हॉस्पिटल में भर्ती हुए।
पर कई दिनों से वहां डॉक्टर ही नहीं आए थे। सब उदास होके भगवान से प्रार्थना करने लगे। अचानक एक नर्स उधर आई और बोली आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार की तरफ से शहर की सबसे बड़ी डॉक्टर इनका इलाज करने आ रही है! ये खबर सुनकर गांव वाले बहुत खुश हो गए ।
हॉस्पिटल के सामने बहुत बड़ी कार आकर रुकी और उसमें से एक डॉक्टर नीचे उतरी। तब गांव के सरपंच ने उस डॉक्टर का माला पहनाकर स्वागत किया। जब डॉक्टर उनके पास आई तो सब आश्चर्यचकित हो गए वह डॉक्टर कोई और नहीं तो वही लड़की थी जिसे वो भिकारन गोरी के नाम से जानते थे!
उसने अपने पिता का आशीर्वाद लिया। और सब गांव वालों का इलाज करना शुरू किया। गोरी के इलाज करने के कुछ दिन बाद सब गांव वाले बीमारी से ठीक हो गए। उसने उसके पिता की आंखों का ऑपरेशन किया और आंखों की दृष्टि फिरसे उनको लौटा दी।
गोरी की मेहनत से वह सब गांव वाले उस बड़ी बीमारी से बच गए। वैसे ही सरपंच और गांव वाले आपस में चर्चा करने लगे।गोरी पर उन्होंने जो अत्याचार किए थे उस पर उन्हें पछतावा होने लगा। सब ने गोरी से माफी मांगी और माला पहना कर उसके नाम का जय जयकार किया।
यह दृश्य देखकर गोरी के पिता को उस पर गर्व महसूस हुआ।
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि गोरी की तरह मेहनत और दृढ़ निश्चय से कष्ट किए तो सफलता अवश्य मिलेगी। जिस तरह कमल भले ही कीचड़ में खिलता है लेकिन उसके गुणों के कारण भगवान के सिर पर स्थान पाता है । हमे भी हमारी परिस्थितियां और संसाधनों की कमियों के कारण जीवन में पीछे नहीं हटना चाहिए एक अच्छा लक्ष्य निर्धारित कर उसके लिए जी जान से मेहनत करनी चाहिए।
EmoticonEmoticon