सौतेली मां : एक दिल छूनेवाली कहानी | Heart Touching Story



 नव्या बचपन से ही बहोत जिद्दी थी। बिन मां की बच्ची थी इसलिए सब लोग उसे संभालते थे। दादी की तो लाडली थी। उसके पापा सचिन की दूसरी शादी करने का प्रयास चालू था। पर यह 7 साल की बच्ची कुछ ना कुछ करके अपने पापा का रिश्ता जुड़ने नहीं देती थी!

उसकी दोनों नानी और दादी उसे समझा समझा कर थक गई,बेटा सभी सौतेली मां बुरी नहीं होती और हम हैं ना! तुम्हें अगर तकलीफ दी तो हम उसपर चिल्लाएंगे डांटेगे। लेकिन उसके मन में बार-बार डर आ रहा था कि सौतेली मां मुझे तकलीफ देगी। पापा भी उसका ही सुनेंगे और उसकी मां की आंखरी  याद मतलब उसका मंगलसूत्र वह भी उस सौतेली मां को दे देंगे! ऐसे उसे लगता था।


 सभी को टेंशन हो रहा था की उसे कैसे समझाए? उसकी मां मतलब सुनीता एक एक्सीडेंट में 2 साल पहले इस दुनिया से चली गई। तब से लेकर अब तक उस बच्ची को सभी संभालते थे पर उसकी यह जिद्द जरा ज्यादा ही थी। कैसे बताएं अभी इसे? उसकी दादी ने उनकी ही मौसेरा भाई की लड़की पसंद कर ली थी। उसकी भी शादी होकर तलाक हो गया था और उसे एक लड़का भी था। पर यह बच्ची सुनने को तैयार ही नहीं थी। 



 वह लड़का है मतलब  उससे ही सब प्यार करेंगे  मुझ से नहीं ऐसा मन में वहम बिठाए वो इस शादी को नही होने देगी ऐसी जिद पकड़ कर बैठी थी! उसके जिद के आगे सचिन भी नहीं बोल सका। 


दोनों दादी और नानी काफी चिंतित हो गई। बाद में सुनीता की मां ने समस्या का समाधान निकाला। सुनीता की एक दोस्त माया जिसकी उम्र हो चुकी थी इसलिए उसकी शादी तय नहीं हो रही थी। उसके घर जाकर नानी ने सब हकीकत बताई। वह सब सुनने और समझने के बाद भी माया शादी के लिए तैयार हो गई! इस वजह से दोनों नानी और दादी भी काफी खुश होगए।


  अब सचिन क्या कहता है? इसकी उनको चिंता हो रही थी। खुद सास ही बोल रही थी इसलिए जमाई तैयार हो गया लड़की को मिलने के लिए। सचिन ने माया से मिलनेका तय किया। 


मुलाकात के दिन सचिन ने  माया से कहा की मे सिर्फ नव्या के भविष्य के लिए और अपनी मां की इच्छा के लिए तैयार हुआ हूं। मेरी तरफ से बाकी कोई भी उम्मीद मत करो। 


 यह सुनते ही बहुत बुरा लगा माया को, पर कितने दिन घरवालों के ताने सुनु इसलिए माया तैयार हो गयी और शादी भी हो गई। उसके घर की परिस्थिति इतनी अच्छी नही थी उस वजह से उसके मां बाप ने माया को कोई भी जेवर नहीं दिए। और नव्या ने अपनी मां का मंगलसूत्र भी नहीं देने दिया।


 बाद में सुनीता की मां ने माया की मां बनकर सब कुछ किया। नव्या माया को बहुत परेशान करती थी। ओ सौतेली मां, ऐसे ही पुकारा करती उसे! माया थोड़ा सा डांटती या उसे समझाने का प्रयास करती तब जानबूझकर झूठ मुठ का रोने लगती थी। 


माया  2 महीने में ही पूरी तरह हताश हो गई। दोनों दादी और नानी को पहले ही सब कुछ पता था इस वजह से माया को वह कुछ नहीं बोलती थी। वह उलटा उसे बोलती थी कि मारोगी भी तो चलेगा। पर सचिन को यह सब सहन नहीं होता था।


जब परिस्थिति हाथ से निकलने लगी तो माया ने  उसकी सहेली को जो की एक  स्कूल टीचर थी उसके साथ मिलकर एक प्लान बनाया और सचिन को असली परिस्थिति का सच का पता चले इसलिए नव्या के ड्रामों का वीडियोस बनाकर उसे दिखाया।



पहले माया को ही गलत समझने वाला सचिन सारी सच्चाई से अवगत हुआ और उसने उन दोनों को धन्यवाद किया । प्यार से नव्या को समझाया की इसके आगे तुम्हें  माया के साथ अच्छा बर्ताव करना होगा, उसकी सब बातें सुननी होगी। 


हालाकी नव्या ने काफी तमाशा किया पर उसकी  साइड लेने वाला कोई भी नहीं है ये उसे समझ में आ गया। उसको माया पर बहुत गुस्सा आता था। माया उसे बहुत समझाती थी।


 धीरे-धीरे माया और सचिन का रिश्ता भी सुधार रहा था। पर पति-पत्नी जैसा रिश्ता उन में नहीं था और वो सचिन ने उसे पहले ही बता दिया था। माया को बहुत बुरा लगता था उसने अपनी इच्छाएं अपने मन में ही दबा दी। नव्या को उसने सोतेला पन कभी भी दिखाया नहीं पर नव्या मात्र उसके साथ झगड़ा ही करती थी।


 धीरे-धीरे नव्या बड़ी होती गई। सचिन हमेशा काम के लिए बाहर रहता था। माया नव्या के लिए हमेशा तत्पर रहती थी। उसने नव्या को बहुत प्यार से समझाने की कोशिश की पर माया को हमेशा अ सफलता मिली। उसमे सचिन की मां हमेशा बीमार रहती थी । उनकी वह देखभाल करती थी। उन्होंने एक बार माया को बुलाकर बताया, मुझे बहुत चिंता होती थी इस नव्या की.... पर अभी नहीं होती.. तुम हो ना, अभी मेरा कुछ भी हो जाए चलेगा, पर तुम्हारे लिए मुझे बहुत बुरा लगता है। जिस बच्ची के लिए तुम इतना करती हो... उसकी उसे कीमत ही नहीं है!


 तभी माया मुस्कान के साथ बोली नव्या को देखते हुए बोली..उसने मुझे हमेशा गलत ही समझा। हमेशा की तरह नव्या ने माया से बहुत झगड़ा किया। सचिन के घर पर आते ही उसको सब झूठ बताया। पर उसने भी नव्या को ही सुनाया...गुस्सैसे  नव्या ने खाना भी नहीं खाया।


 माया ने भी खाना खाया नहीं..... नव्या को समझाने के लिए गइ तो माया ने कहा.... मुझे तुम्हारी मां की जगह नहीं चाहिए, उसकी आखिरी निशानी मतलब उसका मंगलसूत्र भी नहीं चाहिए, मुझे सिर्फ तुम  मां बोलकर पुकार लो मेरे लिए उससे बड़ा कोई पुरस्कार नही होगा! 


जिस दिन तुम ऐसा करोगी उस दिन मुझे ममता का गेहेना मिल जायेगा। वहीं मेरा खरा पहला गेहेना होगा। पर नव्या सुनेगी तब ना, जैसा था वैसे ही सब चालू रहा! कई दिनों बाद दादी की तबीयत बिगड़ी, उन्होंने सचिन को बुलाया और कहां माया बहुत अच्छी लड़की है वह कभी भी भेदभाव नहीं करेगी तुम उसको अपनी पत्नी की तरह स्वीकार कर लो।


 उसकी भी कोई उम्मीद होगी तुमसे, वह पूरा करो। ये आखरी शब्द बोलकर दादी चल बसी। सचिन को मां के वह शब्द कान में गूंज रहे थे। महीना हो गया तब भी वही शब्दों का विचार करके गैलरी में शांत बैठा था। उतने मे माया ने खाना खाने के लिए आ रहे हैं ना ऐसा बोलकर बुलाने आई। सचिन का सब्र का बांध टूट गया। वह माया के गोद में सिर रखकर बहुत रोने लगा।


 आज 5 साल बाद पहली बार सचिन ने माया को छुआ...... माया घबरा गई....... उतने में नव्या वहां पर आ गई। इस वजह से वह विषय वहीं पर ही खत्म हो गया। कई दिनों बाद वापस सब नॉर्मल हो गया। दोनों ही अब शरीर से मन से नजदीक आ गए थे। नव्या को समझ आने के बाद वह भी जरा अच्छा बर्ताव करने लगी। अभी उसकी 12वीं की परीक्षा थी इसलिए माया उसके टाइम टेबल सब ठीक से संभाल रही थी।


कुल मिलाकर सब अच्छा चल रहा था। ऐसे में उनकी खुशियों को नजर लग गई। सचिन का भी एक्सीडेंट हो गया और वह गुजर गया! अभी माया और नव्या वह दोनों ही थी एक दूसरे के लिए। जो भी सेविंग थी उस पर घर चल रहा था। माया तो ग्रेजुएट नहीं थी, इस वजह से उसे नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही थी।


 छोटी-छोटी नौकरी करके वह घर खर्चा चला रही थी। सचिन की सब सेविंग उसने नव्या के लिए रख दि। अब नव्या को प्यार हो गया था, सुशांत नाम के लड़के से,इस वजह से माया ने उनका प्रेम विवाह करने का सोचा। सब लोग अच्छे हैं नव्या भी खुश रहेगी ऐसा उसे विश्वास था। पर सुशांत की मां खड़ूस थी। 


 सचिन के जाने के बाद उनकी परिस्थिति भी अच्छी नहीं थी। नव्या शादी के बाद ज्यादा गहने नहीं लाई इसलिए ससुराल वाले उसे तकलीफ दे रहे थे। उसकी सास की सहेलियां घर पर आई थी, नई दुल्हन से मिलने तब नव्या की सौतेली मां के बारे में बुरा भला बोल रही थी।


 सौतेली मां है ना इसलिए ऐसा जानबूझकर कीया होगा। सब कुछ खुद के लिए रखा होगा और बेटी को लंका की पार्वती बनाकर सिर्फ मंगलसूत्र पहना कर भेज दिया। और हंसने लगी!


 अभी उसका खुद पर का नियंत्रण टूट गया। मेरी मां की आखिरी याद मतलब यह मंगलसूत्र है। जो मेरी इच्छा थी कि मैं ही इसे पहेनु, यह मंगलसूत्र मेरी मां का आशीर्वाद का हाथ है और मेरी माया मां को बुरा भला बोलने का तुम्हें कोई भी हक नहीं है। आज वह है इसलिए मैं हूं। उन्होंने मुझे अच्छे संस्कार दिए, डिसिप्लिन सिखाया, संयम  और बड़ों का सम्मान यह सब बाते, कोई भी उम्मीद ना रखते हुए सिखाया। पापा के जाने के बाद भी उन्होंने कमाए हुए एक  पैसा भी खुद पर ना खर्च करते हुए सब पैसे मुझे दिए। कभी भी सोतेलापन उन्होंने मुझे नहीं दिखाया। मेरे लिए उन्होंने खुद का बच्चा तक नहीं होने दिया, पर मुझ पागल को कभी यह समझ में नहीं आया!

 उन्होंने मुझे सिर्फ और सिर्फ प्यार किया। मुझसे उन्हें एक ही चीज चाहिए थी। जो मैं कभी नहीं दे पाई। 


सब औरतें एकदम सोच में पड़ गई की आखिर वह कौन सा चीज चाहिए थी? उन्होंने नव्या से पूछा उन्हे क्या चाहिए था? सच में बहुत महंगा गेहेना होगा इसीलिए तो उसने इतना एडजस्ट किया होगा। बातचीत हो रही थी तब वहां माया आई और औरतें खूसूर फुसुर करते हुए हसने लगी।


  माया मन में डर गई, नव्या ने ऐसा क्या किया होगा? ऐसा क्या किया जो यह सब औरतें उसे देख रही है? तभी नव्या ने माया को गले लगाकर प्यार से माँ  बुलाया!!


 दोनों मां बेटी सब भूलकर एक दूसरे की बाहों में गुम हो गई। औरतें जब  जाना फूसी कर रही थी कि तभी नव्या बोली , आप सबको वह गहना देखना था ना। यही मां  बुलाकर ममता का गेहेना उसे चाहिए था!


 माया को तो रोना आ रहा था। दोनों सचिन और दादी के फोटो के सामने खड़े रहकर उनको  हाथ जोड़कर खड़े थे नव्या ने उनसे माफी मांगी और मां को कभी खुद से कभी दूर नहीं करूंगाी ऐसा वचन दिया।


दोस्तो, समाज में कई  गलत बाते, भावनाए बनी हुई होती है जो जाने अनजाने बच्चो तक भी पहुंच जाती है। हमे बच्चो को और खुद को भी इस बात को समझाना होगा की  हर पुरानी बात पूरी तरह या हर किसी के लिए सच या एक समान नहीं होती है। किसी एक का सच दूसरे के लिया झूठ हो सकता है इसलिए किसी भी बात को अपने दिल दिमाग में बिठाने से पहले उसकी सत्यता की कसोटी करना बेहद जरूरी हो जाता है।
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